प्राच्यवाद क्या है? | What Is Orientalism? in Hindi ओरिएंटलिज्म (Orientalism? in Hindi) ब्रिटिश शासकों और शिक्षाविदों के बीच प्रचलित एक
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फ्रेडरिक ईडन पार्जिटर फ्रेडरिक ईडन पार्जिटर (1852–18 फ़रवरी 1927) एक ब्रिटिश सिविल सेवक और ओरिएंटलिस्ट थे। 1852 में जन्मे पार्गिटर रेव.
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पश्चिमी इंडोलॉजिस्ट – उद्देश्यों का अध्ययन: भाग 4 (यह पंडित भगवद दत्त द्वारा लिखित मोनोग्राफ “वेस्टर्न इंडोलॉजिस्ट्स – ए
पश्चिमी भारतविद्याविद – उद्देश्यों का अध्ययन: भाग 3 (यह पंडित भगवद दत्त द्वारा लिखित मोनोग्राफ “वेस्टर्न इंडोलॉजिस्ट्स – ए स्टडी
पश्चिमी भारतविद्याविद् – उद्देश्यों का अध्ययन: भाग 2 (यह पंडित भगवद दत्त द्वारा लिखित मोनोग्राफ “वेस्टर्न इंडोलॉजिस्ट्स – ए स्टडी
पश्चिमी इंडोलॉजिस्ट – उद्देश्यों का अध्ययन: भाग 1 (यह शोध विद्वान पंडित भगवद दत्त द्वारा लिखित मोनोग्राफ “वेस्टर्न इंडोलॉजिस्ट्स –
प्रथम इंडोलॉजिस्ट यह लेख पहली बार 1977 में प्रकाशित पुस्तक ‘रीडिंग्स इन वैदिक लिटरेचर: द ट्रेडिशन स्पीक्स फॉर इट्स’ में
महाजनपदों का उदय परिचय भारत का इतिहास छठी शताब्दी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व तक का है, जिसे उचित रूप
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हरमन जैकोबी – जर्मन इंडोलॉजिस्ट 1850 – 1937 1850-1937 हरमन जैकोबी एक विद्वान थे जिन्होंने इंडोलॉजी के कई पहलुओं पर काम किया।
भारत में जैन धर्म भारत में जैन धर्म परिचय भारतीय इतिहास में छठी शताब्दी ईसा पूर्व समकालीन धर्मों के निर्माण
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- केंद्रीय असेंबली में बम फेंकना
- अंग्रेजों के खिलाफ अनर्गल भाषण देना
- एक पुलिस हेड कांस्टेबल की हत्या
- मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या का प्रयास
Answer (Detailed Solution Below)
Option 4 : मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या का प्रयास
Detailed Solution
सही उत्तर मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या का प्रयास है।
- अलीपुर बॉम्बे केस ट्रायल का तात्पर्य मुजफ्फरपुर के जिला जज की हत्या के प्रयास से है।
- अलीपुर बम कांड में चित्तरंजन दास द्वारा अरबिंदो घोष का बचाव किया गया था।
- अलीपुर बम मामले की साजिश वर्ष 1908 में हुई थी।
- इसे मणिकटोला बम षड्यंत्र या मुरारीपुकार षड्यंत्र के रूप में भी जाना जाता है।
- डगलस किंग्सफोर्ड अलोकप्रिय ब्रिटिश मुख्य न्यायधीश मुजफ्फरपुर (उत्तरी बिहार) में फेंके गए बम का निशाना था।
- बम फेंकने वाले क्रांतिकारी प्रफुल्ल चाकी और खुदीराम बोस थे।
- जिस गाड़ी पर बम फेंका गया, उसमें किंग्सफोर्ड नहीं है, बल्कि दो अंग्रेज महिलाएं थीं, जो हमले में मारी गईं।
- प्रफुल्ल चाकी ने आत्महत्या कर ली और खुदीराम बोस को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें मौत की सजा सुनाई गई जब वह केवल 18 वर्ष के थे।
- मामले में जिन अन्य लोगों पर मुकदमा चला, उनमें अरबिंदो घोष, उनके भाई बारिन घोष, सत्येंद्रनाथ बोस, कनाईलाल दत्त और तीस से अधिक लोग थे।
- वे सभी कलकत्ता अब कोलकाता में अनुशीलन समिति के सदस्य थे।
उत्तर-जर्मनी का एकीकरण-वियना कांग्रेस द्वारा जर्मनी के 39 राज्यों का एक शिथिल जर्मन संघ बनाया गया। एक जर्मन राष्ट्र सभा की स्थापना की गई जिसका अध्यक्ष आस्ट्रिया के सम्राट को बनाया गया। इससे जर्मन लोगों में घोर असन्तोष व्याप्त था। जर्मनी के राष्ट्रवादियों ने 1815 से जर्मनी के एकीकरण के प्रयास शुरू कर दिए जिनका वर्णन निम्नलिखित बिन्दुओं के अन्तर्गत किया जा सकता है- (1) जॉलवेराइन की स्थापना- 1834 ई. में प्रशा की पहल पर जॉलवेराइन नामक एक शुल्क संघ की स्थापना की गई जिसमें अधिकांश जर्मन राज्य सम्मिलित हो गए। इस संघ ने शुल्क अवरोधों को समाप्त कर दिया तथा मुद्राओं की संख्या केवल दो कर दी जो उससे पहले तीस से ऊपर थी। इसके अलावा रेलवे के जाल ने गतिशीलता बढ़ाई और आर्थिक हितों को राष्ट्रीय एकीकरण का सहायक बनाया। इस प्रकार जॉलवेराइन से जर्मन राज्यों में राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। इसने भविष्य में प्रशा के नेतृत्व में जर्मनी के राजनीतिक एकीकरण का मार्ग प्रशस्त कर दिया। (2) फ्रेंकफर्ट की संसद-सम्पूर्ण जर्मनी के लिए एक नवीन संविधान बनाने के लिए 18 मई, 1848 को फ्रेंकफर्ट संसद के 831 निर्वाचित सदस्यों की एक बैठक हुई । उन्होंने एक जर्मन राष्ट्र के लिए एक संविधान का प्रारूप तैयार किया। इस राष्ट्र की अध्यक्षता एक ऐसे राजा को सौंपी गई जिसे संसद के अधीन रहना था। जब प्रतिनिधियों ने प्रशा के राजा फ्रेडरीक विल्हेम चतुर्थ को ताज पहनाने की कोशिश की तो प्रशा के सम्राट् द्वारा जर्मन राज्यों का राजमुकुट धारण करना स्वीकार न करने के कारण वेधानिक तरीकों से जर्मनी के एकीकरण के प्रयासों पर पानी फिर गया। (3) बिस्मार्क का योगदान-सन् 1862 में प्रशा के सम्राट् विलियम प्रथम तथा उसके प्रधानमंत्री ऑंटो वॉन विस्मार्क ने जर्मनी के एकीकरण के आन्दोलन का नेतृत्व सम्भाल लिया। बिस्मार्क ने प्रशा की सेना तथा नौकरशाही की सहायता ली। उसने लौह और रक्त की नीति अपनाते हुए सात वर्ष की अवधि में 1864 में डेनमार्क को, 1866 में आस्ट्रिया को तथा 1870 में फ्रांस को युद्धों में पराजित कर दिया और जर्मनी के एकीकरण की प्रक्रिया पूरी की । 18 जनवरी, 1871 को बिस्मार्क ने वर्साय के शीश महल में प्रशा के सम्राट विलियम प्रथम को नवीन जर्मन साम्राज्य का सम्राट् घोषित किया।
उत्तर : बिस्मार्क जर्मनी के महान पुत्रों में से एक था। जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क का महत्त्वपूर्ण योगदान था। इसे जर्मनी के एकीकरण का जनक भी कहा जाता है। उसने प्रशा के प्रधानमन्त्री के रूप में जर्मनी का एकीकरण किया। बिस्मार्क ने 'रक्त और लौह' की नीति अपनाकर सर्वप्रथम श्लेसविग तथा होलस्टीन के प्रशासन पर नियन्त्रण स्थापित किया, फिर ऑस्ट्रिया को सेडोवा के युद्ध (सन् 1866) में पराजित करके उसने जर्मन राज्यों को उसके प्रभाव से मुक्त करा लिया। तत्पश्चात् बिस्मार्क ने सीडान के युद्ध में फ्रांस के सम्राट नेपोलियन तृतीय को पराजित करके जर्मनी का एकीकरण पूर्ण कर दिया। 18 जनवरी 1871 को प्रशा सम्राट विलियम प्रथम महान को जर्मन साम्राज्य का प्रथम सम्राट घोषित किया गया। सन् 1871 में बिस्मार्क जर्मन साम्राज्य का प्रधानमन्त्री बना। सन् 1890 में जर्मन सम्राट कैसर विलियम द्वितीय से मतभेद हो जाने के कारण बिस्मार्क ने त्यागपत्र दे दिया। 31 जुलाई, 1898 को 83 वर्ष की आयु में बिस्मार्क की मृत्यु हो गई।

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