ऑटोनोमस वारफेयर
संदर्भ
ऑपरेशन सिंदूर भारत और पाकिस्तान के बीच प्रत्यक्ष सैन्य युद्ध में स्वायत्त हवाई प्रणालियों के प्रथम प्रमुख प्रयोग का प्रतीक था।
ऑटोनोमस वारफेयर (Autonomous Warfare) के बारे में
- परिभाषा: ऑटोनोमस वारफेयर में मानवरहित प्रणालियों (ड्रोन, रोबोट, युद्ध सामग्री) का प्रयोग शामिल होता है, जो बिना किसी प्रत्यक्ष मानव नियंत्रण के संचालित हो सकते हैं।
- मुख्य घटक
- मानव रहित हवाई प्रणाली (Unmanned Aerial Systems-UAS): निगरानी, हमला और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के लिए उपयोग किए जाने वाले ड्रोन।
- लोइटरिंग म्यूनिशन (Loitering Munitions): ड्रोन जो लक्ष्य मिलने तक हवा में विचरण करते रहते हैं और फिर हमला करते हैं।
- स्वार्म ड्रोन (Swarm Drones): दुश्मन की सुरक्षा को ध्वस्त करने के लिए समन्वय में कार्य करने वाले कई ड्रोन।
- AI-आधारित लक्ष्यीकरण: ये प्लेटफॉर्म स्वतंत्र रूप से या अर्द्ध-स्वतंत्र रूप से लक्ष्यों को नेविगेट करने, पहचानने और संलग्न करने के लिए AI और एल्गोरिदम का उपयोग करते हैं।
- ऑटोनोमस वारफेयर को संचालित करने वाली अन्य प्रमुख प्रौद्योगिकियाँ
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) और मशीन लर्निंग स्वायत्त प्रणालियों को सक्षम बनाती है:
- जटिल वातावरण में नेविगेट करना।
- लक्ष्यों की पहचान करना, उन्हें ट्रैक करना और प्राथमिकता देना।
- मानवीय इनपुट के बिना निर्णय लेना।
- वास्तविक समय के खतरे के विश्लेषण, अनुकूली मिशन योजना और समूह समन्वय के लिए उपयोग किया जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर (EW) सिस्टम: दुश्मन के सेंसर और संचार को बाधित या धोखा देना।
- इसमें शामिल हैं:
- सुरक्षा बलों को धोखा देने के लिए नकली ड्रोन।
- दुश्मन के सिस्टम को गुमराह करने के लिए सिग्नल जैमिंग और स्पूफिंग।
- नेटवर्क को निष्क्रिय करने के लिए साइबर पेलोड।
- इसमें शामिल हैं:
- रियल टाइम डेटा नेटवर्क और युद्ध प्रबंधन प्रणाली
- उदाहरण: एकीकृत युद्ध प्रबंधन प्रणाली (Integrated Battle Management System-IBMS), एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (Integrated Air Command and Control System-IACCS)
- ड्रोन, सेंसर, कमांड सेंटर और स्ट्राइक एसेट्स को वास्तविक समय में लिंक करना।
- गतिशील लक्ष्यीकरण, समन्वित हमले और साझा स्थितिजन्य जागरूकता को सक्षम बनाता है।
- निर्देशित ऊर्जा हथियार (Directed Energy Weapons-DEWs): ड्रोन और आने वाले खतरों को निष्क्रिय करने के लिए उच्च शक्ति वाले लेजर या माइक्रोवेव का उपयोग करना।
- स्वायत्त भूमि और नौसेना प्रणाली (उभरती हुई): स्वायत्त टैंक, मानव रहित भूमि वाहन (Unmanned Ground Vehicles-UGVs) और मानव रहित सतह पोत (Unmanned Surface Vessels-USVs) विकास के अधीन हैं।
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence-AI) और मशीन लर्निंग स्वायत्त प्रणालियों को सक्षम बनाती है:
- आधुनिक युद्धक्षेत्र भूमिका
- निगरानी और टोही (ISR)
- लक्ष्य प्राप्ति (Target acquisition)
- इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (Electronic warfare)
- प्रत्यक्ष हमला मिशन (Direct strike missions)।
ऑटोनोमस वारफेयर की नैतिक चुनौतियाँ
- मानवीय निर्णय और नैतिक एजेंसी का नुकसान: स्वायत्त हथियारों (जैसे- ड्रोन या रोबोट सैनिक) में चेतना की कमी होती है और वे नैतिक निर्णय नहीं ले सकते हैं।
- युद्ध में नैतिक निर्णय (जैसे- लड़ाकों को नागरिकों से अलग करना) के लिए अक्सर सहानुभूति, संदर्भ और विवेक की आवश्यकता होती है, जो गुण मशीनों में स्वाभाविक रूप से नहीं होते हैं।
- युद्ध का अमानवीयकरण: स्वचालन निर्णय लेने वालों और लड़ाकों को हिंसा के प्रति असंवेदनशील बना सकता है।
- हत्या की मनोवैज्ञानिक लागत में कमी यूक्रेन-रूस संघर्ष में स्पष्ट है।
- उत्तरदायित्व अंतराल: यदि कोई स्वायत्त प्रणाली युद्ध अपराध करती है या मानवीय मानदंडों का उल्लंघन करती है, तो नैतिक रूप से कौन जिम्मेदार है? प्रोग्रामर, कमांडर, निर्माता या स्वयं AI?
- पूर्वाग्रह और भेदभाव: AI सिस्टम अपने प्रशिक्षण डेटा या डिजाइन से पूर्वाग्रहों को विरासत में ले सकते हैं या बढ़ा सकते हैं, जिससे कुछ समूहों को असंगत नुकसान हो सकता है।
ऑटोनोमस वारफेयर की कानूनी चुनौतियाँ
- अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून (International Humanitarian Law-IHL) का अनुपालन
- स्वायत्त हथियारों को निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना होगा:
- भेद: लड़ाकों और नागरिकों के बीच।
- आनुपातिकता: सैन्य लाभ के संबंध में नागरिकों को होने वाला नुकसान अत्यधिक नहीं होना चाहिए।
- सैन्य आवश्यकता: बल का प्रयोग वैध सैन्य उद्देश्यों द्वारा उचित ठहराया जाना चाहिए।
- सावधानी: नागरिकों को होने वाले नुकसान से बचने या उसे कम करने के लिए सभी संभव कदम उठाए जाने चाहिए।
- अभी यह स्पष्ट नहीं है कि स्वायत्त प्रणालियाँ इन मानकों को विश्वसनीय रूप से पूरा कर पाएँगी या नहीं।
- स्वायत्त हथियारों को निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना होगा:
- जवाबदेही और कानूनी जिम्मेदारी: स्वायत्त प्रणालियों द्वारा गैर-कानूनी कृत्यों के लिए कानूनी जिम्मेदारी निर्धारण के लिए कोई स्पष्ट ढाँचा मौजूद नहीं है।
- विनियमन और संधि कानून का अभाव: कोई व्यापक अंतरराष्ट्रीय संधि स्वायत्त हथियार प्रणालियों (AWS) को नियंत्रित नहीं करती है।
भारत की ड्रोन क्षमताएँ
- भारत ने व्यापक रेंज के UAS तैनात किए
- ISR ड्रोन: TAPAS-BH-201 (रुस्तम-II), हेरॉन MK-II
- लोइटरिंग म्यूनिशन: नागास्त्र-1 (Nagastra-1), इजरायली हारोप (Israeli Harop)
- स्वार्म ड्रोन: रडार स्पूफिंग और नेटवर्क संतृप्ति के लिए उपयोग किया जाता है।
- माइक्रो/क्वाडकॉप्टर (Micro/Quadcopters): एकीकृत युद्ध प्रबंधन प्रणाली (IBMS) के माध्यम से वास्तविक समय लक्ष्यीकरण के लिए।
ऑटोनोमस वारफेयर में निजी क्षेत्र की भागीदारी
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एकीकृत वायु रक्षा एवं इलेक्ट्रॉनिक युद्ध
- भारत का IACCS: एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली
- रडार, उपग्रह, हवाई और जमीनी डेटा को मिलाता है।
- ड्रोन को निष्क्रिय करने के लिए निर्देशित ऊर्जा हथियारों (DEWs) का उपयोग करता है।
- पाकिस्तान द्वारा किए गए कई व्यवधान प्रयासों से बच गया।
- सामरिक नियंत्रण परत: UAV ट्रैकिंग और प्रतिक्रिया के लिए आकाशीर प्रणाली।
- लीगेसी सिस्टम का उपयोग: भारत ने शीतयुद्ध युग के निम्न-स्तरीय वायु रक्षा (LLAD) प्लेटफॉर्म को रचनात्मक रूप से उन्नत किया।
- ZSU-23-4 शिल्का, OSA-AK, पिकोरा, L/70 बोफोर्स AA गन
- SPYDER, आकाश, बराक-8 और S-400 जैसी आधुनिक प्रणालियों के साथ एकीकृत।
ऑटोनोमस वारफेयर के लाभ
- पायलट को कोई जोखिम नहीं: मिशन के दौरान मानव जीवन को सीधे तौर पर कोई खतरा नहीं होता है।
- सटीक निशाना लगाना: वास्तविक समय के डेटा और निर्देशित हमलों से होने वाली क्षति को कम करता है।
- लगातार निगरानी: ड्रोन लंबे समय तक हवा में रह सकते हैं।
- लागत-प्रभावी: मानवयुक्त विमान और मिसाइलों की तुलना में सस्ता है।
- त्वरित प्रतिक्रिया: संघर्ष के क्षेत्रों या उभरते खतरों में त्वरित प्रतिक्रिया।
ऑपरेशन सिंदूर का रणनीतिक प्रभाव
- ऑपरेशन सिंदूर ने ऑटोनोमस वारफेयर में भारत की बढ़ती क्षमता को उजागर किया, जिसमें सटीक, जोखिम-मुक्त सीमा-पार हमले किए गए हैं।
- यह क्षेत्र में निरोध का एक नया मॉडल है, जो भारत के पक्ष में क्षेत्रीय हवाई शक्ति गतिशीलता में बदलाव का संकेत देता है।
- भविष्य के संघर्ष सैनिकों की तुलना में एल्गोरिदम और डेटा द्वारा अधिक संचालित हो सकते हैं।
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