कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन
चर्चा में क्यों?
हाल ही में कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन (CSC) के सदस्यों (भारत, श्रीलंका, मालदीव और मॉरीशस) ने कोलंबो में CSC सचिवालय की स्थापना हेतु एक चार्टर एवं समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये।
- इसमें बांग्लादेश अनुपस्थित रहा तथा सेशेल्स ने पर्यवेक्षक राज्य के रूप में भाग लिया।
कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन से संबंधित प्रमुख तथ्य क्या हैं?
- CSC की पृष्ठभूमि: इसे मूल रूप से समुद्री सुरक्षा पर NSA ट्राईलेटरल के रूप में जाना जाता था और इसे वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका एवं मालदीव के बीच स्थापित किया गया था।
- यह हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने के लिये श्रीलंका की एक पहल थी।
- सदस्य: भारत, श्रीलंका और मालदीव इसके संस्थापक सदस्य थे।
- वर्ष 2022 में मॉरीशस जबकि बांग्लादेश वर्ष 2024 में इस सम्मेलन में शामिल हुआ। सेशेल्स इसमें एक पर्यवेक्षक राज्य है।
- CSC के लक्ष्य: CSC के तहत सहयोग पाँच लक्ष्यों पर केंद्रित है:
- समुद्री सुरक्षा एवं संरक्षा।
- आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करना।
- तस्करी और अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध का मुकाबला करना।
- साइबर सुरक्षा तथा रणनीतिक बुनियादी ढाँचे और प्रौद्योगिकी की सुरक्षा।
- मानवीय सहायता एवं आपदा राहत।
- रक्षा अभ्यास: नवंबर 2021 में भारत, श्रीलंका और मालदीव ने मालदीव में अभ्यास दोस्ती XV का आयोजन किया।
- इसके बाद भारत, श्रीलंका और मालदीव ने CSC के तत्वावधान में अरब सागर में अपना पहला संयुक्त अभ्यास किया।
- संवाद और बैठकें: तीनों देशों के बीच प्रथम वार्ता वर्ष 2011 में मालदीव में हुई, इसके बाद श्रीलंका (2013) और भारत (2014) में बैठकें हुईं।
- भारत-मालदीव के बीच बढ़ते तनाव और हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण वर्ष 2014 के बाद यह वार्ता स्थिर हो गई।
- इसे वर्ष 2020 में पुनर्जीवित किया गया और कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव के रूप में पुनः स्थापित किया गया।
- CSC का महत्त्व: CSC भारत की हिंद महासागर में पहुँच को मज़बूत करता है, चीन के प्रभाव का सामना करता है, समुद्री सुरक्षा को बढ़ाता है, यह सागर (SAGAR) दृष्टिकोण के साथ संरेखित है, और साझा सुरक्षा मंच पर छह हिंद महासागर देशों के बीच उप-क्षेत्रवाद को बढ़ावा देता है।
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