छत्तीसगढ़ में आदिवासी/जनजातीय विद्रोह
छत्तीसगढ़ में आदिवासी/जनजातीय विद्रोह:
- हल्बा विद्रोह( 1774 ई. )
• नेतृत्व- अजमेर सिंह
• शासक- दरियावदेव
• उद्देश्य – उत्तराधिकार हेतु
• विशेष – प्रथम विद्रोह
- भोपालपट्टनम संघर्ष ( 1795 ई. )
• नेतृत्व- आदिवासियों द्वारा
• उद्देश्य – अंग्रेज अधिकारी जे. टी. ब्लण्ट को जगदलपुर प्रवेश के विद्रोह में
• विशेष – अल्पकालीन व सीमित
- परलकोट विद्रोह ( 1825 ई. )
• नेतृत्व- गेंदसिंह (फांसी 20/01/1825)
• शासक- महिपाल देव
• उद्देश्य – अबुझमाड़ीयों की शोषण मुक्ति
• दमनकर्ता – कैप्टन पेबे
• विशेष – प्रथम शहीद – गेंद सिंह , प्रतीक धावडा पेड़ की टहनी
- तारापुर विद्रोह ( 1842 ई. )
• नेतृत्व- दलगंजन सिंह
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य – टकोली बढाने के विरोध में
- मेरिया विद्रोह ( 1842 ई. )
• नेतृत्व- हिडमा मांझी
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य – नरबलि प्रथा के विरूद्व
• दमनकर्ता – कैम्पबेल
- लिंगागिरि विद्रोह ( 1856 ई. )
• नेतृत्व- धुरूवाराव माडिया (दूसरा शहीद)
• शासक- भैरमदेव
• उद्देश्य – बस्तर का मुक्ति संग्राम
- कोई विद्रोह ( 1859 ई. )
• नेतृत्व- नांगूल दोरला
• शासक- भैरमदेव
• उद्देश्य – साल पेड के कटाई के विरूद्ध
- मुरिया विद्रोह ( 1876 ई. )
• नेतृत्व- झाड़ा सिरहा
• शासक- भैरमदेव
• दमनकर्ता – मैक जार्ज
• प्रतीक- आम कि टहनी
- महान भूमकाल विद्रोह ( 1910 ई. )
• नेतृत्त्व- गुंडाधुर (नेतानार के जमींदार)
• शासक- रूद्रप्रताप सिंह देव
• उद्देश्य – शोषण के विरूद्व
• दमनकर्ता – कैप्टन गेयर
• प्रतीक- लालमिर्च+आम कि टहनी,
• अंतिम सामना अलवार में
