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छत्तीसगढ़ का इतिहास – छत्तीसगढ़ में आदिवासी/जनजातीय विद्रोह

छत्तीसगढ़ में आदिवासी/जनजातीय विद्रोह

छत्तीसगढ़ में प्रथम आदिवासी/जनजातीय विद्रोह हल्बा विद्रोह ( 1774 ई. ) अजमेर सिंह की नेतृत्व में हुआ था। छत्तीसगढ़ में मुख्यतः आदिवासी/जनजातीय विद्रोह बस्तर में हुए। आधुनिक भारत के इतिहास में स्वतंत्रता संग्राम की सुरुवात 1857से माना जाता है परंतु बस्तर में 32 वर्ष पूर्व 1825 ई. में नारायणपुर तहसील के परलकोट के जमींदार गेंद सिंह ने अंग्रेजो और मराठो के खिलाफ विद्रोह किया था जिसे परलकोट विद्रोह के नाम से जाना जाता है और इसके बाद छत्तीसगढ़ में अनेक विद्रोह हुए।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी/जनजातीय विद्रोह:

 
  • हल्बा विद्रोह( 1774 ई. )

• नेतृत्व- अजमेर सिंह
• शासक- दरियावदेव
• उद्देश्य – उत्तराधिकार हेतु
• विशेष – प्रथम विद्रोह

  • भोपालपट्टनम संघर्ष ( 1795  ई. )

• नेतृत्व- आदिवासियों द्वारा
• उद्देश्य – अंग्रेज अधिकारी जे. टी. ब्लण्ट को जगदलपुर प्रवेश के विद्रोह में
• विशेष – अल्पकालीन व सीमित

  • परलकोट विद्रोह ( 1825 ई. ) 

• नेतृत्व- गेंदसिंह (फांसी 20/01/1825)
• शासक- महिपाल देव
• उद्देश्य – अबुझमाड़ीयों की शोषण मुक्ति
• दमनकर्ता – कैप्टन पेबे
• विशेष – प्रथम शहीद – गेंद सिंह , प्रतीक धावडा पेड़ की टहनी

  • तारापुर विद्रोह ( 1842 ई. ) 

• नेतृत्व- दलगंजन सिंह
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य – टकोली बढाने के विरोध में

  • मेरिया विद्रोह ( 1842 ई. ) 

• नेतृत्व- हिडमा मांझी
• शासक- भुपालदेव
• उद्देश्य – नरबलि प्रथा के विरूद्व
• दमनकर्ता – कैम्पबेल

  • लिंगागिरि विद्रोह ( 1856 ई. ) 

• नेतृत्व- धुरूवाराव माडिया (दूसरा शहीद)
• शासक- भैरमदेव
• उद्देश्य – बस्तर का मुक्ति संग्राम

  • कोई विद्रोह ( 1859 ई. )

• नेतृत्व- नांगूल दोरला
• शासक- भैरमदेव
• उद्देश्य – साल पेड के कटाई के विरूद्ध

  • मुरिया विद्रोह ( 1876 ई. )
See also  छत्तीसगढ़ बजट

• नेतृत्व- झाड़ा सिरहा
• शासक- भैरमदेव
• दमनकर्ता – मैक जार्ज
• प्रतीक- आम कि टहनी

  • महान भूमकाल विद्रोह ( 1910 ई. )

• नेतृत्त्व- गुंडाधुर (नेतानार के जमींदार)
• शासक- रूद्रप्रताप सिंह देव
• उद्देश्य – शोषण के विरूद्व
• दमनकर्ता – कैप्टन गेयर
• प्रतीक- लालमिर्च+आम कि टहनी,
• अंतिम सामना अलवार में

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