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बाबू जगजीवन राम

बाबू जगजीवन राम

अनुभागविवरण
परिचयबाबू जगजीवन राम (5 अप्रैल, 1908 – 6 जुलाई, 1986) एक भारतीय स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और राजनीतिज्ञ थे, जो शोषितों के अधिकारों की वकालत के लिए जाने जाते थे।
प्रारंभिक जीवन– बिहार के चंदवा गांव में एक दलित परिवार में जन्मे।
 पिता: शोभी राम, पूर्व ब्रिटिश भारतीय सेना के सैनिक।
 – जातिगत भेदभाव के बावजूद शैक्षणिक रूप से उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
 – 1931 में कलकत्ता विश्वविद्यालय से बी.एस.सी. की डिग्री प्राप्त की।
 – बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) में अपनी शिक्षा के दौरान सामाजिक भेदभाव के खिलाफ सक्रिय रूप से विरोध प्रदर्शन आयोजित किया।
योगदान– दलित अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए संगठनों की स्थापना की (जैसे, अखिल भारतीय दलित वर्ग लीग)।
 – संविधान सभा के सदस्य के रूप में भारतीय संविधान में सामाजिक न्याय की वकालत की।
 – हरित क्रांति और 1971 के भारत-पाक युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई (रक्षा मंत्री के रूप में)।
 – संगठित ग्रामीण श्रमिक आंदोलन और आधुनिक कृषि, विशेष रूप से 1974 के सूखे के दौरान।
स्थापित संगठन–  अखिल भारतीय रविदास महासभा (1934):  गुरु रविदास के अनुयायियों के लिए धार्मिक और सामाजिक सुधार संगठन।
 –  अखिल भारतीय शोषित वर्ग लीग (1935):  दलित समानता और राष्ट्रीय आंदोलन में शोषितों को संगठित करने के लिए समर्पित।
 –  खेतिहर मजदूर सभा (1937):  कृषि मजदूरों के अधिकारों और कल्याण पर केंद्रित।
 –  कांग्रेस फॉर डेमोक्रेसी (1977):  लोकतांत्रिक सुधारों की वकालत करने वाली राजनीतिक पार्टी, बाद में जनता पार्टी में विलय हो गई।
उल्लेखनीय कार्य/पुस्तकें–  “भारत में जाति चुनौती”:  सामाजिक भेदभाव और समानता पर भाषणों और लेखों का संग्रह।
 – बी.आर. अंबेडकर  द्वारा लिखित “शूद्र कौन थे?” की प्रस्तावना  ।
परंपरा– दलित अधिकारों और सामाजिक न्याय के लिए एक चैंपियन के रूप में याद किया जाता है।
 – उनका कार्य भारत में पीढ़ियों को प्रेरित करता रहेगा।
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