सागरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य
चर्चा में क्यों?
महाराष्ट्र के सांगली जिले में स्थित सागरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य अपनी महत्वपूर्ण हिरण आबादी के लिए जाना जाता है, जिसमें 536 सांभर और 295 चीतल (चित्तीदार हिरण) शामिल हैं। यह अभयारण्य मानव निर्मित वन्यजीव अभयारण्यों में हिरणों की सबसे अधिक आबादी वाले अभयारण्यों में से एक होने का गौरव रखता है।
- Located in Sangli district, Maharashtra, India.
- भारत में पहला मानव निर्मित वन्यजीव अभयारण्य।
- इसका क्षेत्रफल 10.87 वर्ग किलोमीटर है।
- इसका नाम प्राचीन सागरेश्वर मंदिर के नाम पर रखा गया है।
अतिरिक्त विवरण
- विशिष्ट विशेषताएं: यह अभयारण्य कृत्रिम रूप से उगाया गया वन है, जिसमें बारहमासी जल आपूर्ति नहीं है, तथा यहां पाई जाने वाली अधिकांश वन्यजीव प्रजातियां कृत्रिम रूप से लाई गई हैं।
- वनस्पति: अभयारण्य में दक्षिणी शुष्क मिश्रित पर्णपाती और दक्षिणी कांटेदार वन हैं। प्रमुख वनस्पतियों में इमली, नीम, नीलगिरी, बबूल, एगेव और खैर के पेड़ शामिल हैं।
- जीव-जंतु: अभयारण्य में कई बड़े जानवर रहते हैं, जैसे कि सांभर हिरण, ब्लैकबक्स, मुंतजाक और चीतल, साथ ही जंगली सूअर और मोर। लकड़बग्घा, लोमड़ी और साही जैसे छोटे मांसाहारी जानवर भी इस क्षेत्र में रहते हैं।
सागरेश्वर वन्यजीव अभयारण्य विविध वन्यजीवों के लिए एक आवश्यक आवास के रूप में कार्य करता है और पारिस्थितिक संतुलन को बढ़ावा देता है। इसकी अनूठी विशेषताएं और महत्वपूर्ण हिरण आबादी इसे संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र बनाती है।
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