भारतीय प्रेस परिषद
- टैग्स:
- प्रारंभिक परीक्षा
- सामान्य अध्ययन-II
- मौलिक अधिकार
- अर्ध-न्यायिक निकाय
चर्चा में क्यों?
लोकसभा अध्यक्ष ने भारतीय प्रेस परिषद (PCI) के लिये 3 सांसदों को नामित किया है।
भारतीय प्रेस परिषद (PCI) से संबंधित मुख्य बिंदु क्या हैं?
- प्रेस परिषद: प्रेस परिषद एक वैधानिक, अर्द्ध-न्यायिक स्वायत्त निकाय है, जिसकी स्थापना प्रथम प्रेस आयोग की सिफारिशों के आधार पर संसद द्वारा भारतीय प्रेस परिषद अधिनियम, 1965 के तहत 16 नवंबर, 1966 को की गई थी।
- इसकी औपचारिक स्थापना वर्ष 1966 में हुई थी, जिसके तत्कालीन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.आर. मुधोलकर इसके अध्यक्ष थे।
- इसे आपातकाल (वर्ष 1975 में) के दौरान समाप्त कर दिया गया था, जिसे बाद में वर्ष 1979 में प्रेस परिषद अधिनियम, 1978 के तहत पुनर्गठित किया गया था।
- उद्देश्य: भारत में प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने तथा अखबारों और समाचार एजेंसियों के मानकों को सुरक्षित व उन्नत बनाना।
- संरचना और कार्यकाल: इसमें 29 सदस्य (1 अध्यक्ष + 28 सदस्य) होते हैं। अध्यक्ष परंपरागत रूप से सेवानिवृत्त सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश होते हैं, जिन्हें एक समिति द्वारा नामित किया जाता है जिसमें उपराष्ट्रपति (राज्यसभा के सभापति), लोकसभा अध्यक्ष और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) द्वारा चुना गया एक सदस्य शामिल होता है।
- अन्य 28 सदस्यों में 13 कार्यरत पत्रकार, 6 समाचार-पत्रों के स्वामी/प्रबंधक, 1 समाचार एजेंसी का प्रतिनिधि, 5 सांसद और 3 विशेषज्ञ शामिल होते हैं जिन्हें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC), बार काउंसिल एवं साहित्य अकादमी द्वारा नामित किया जाता है।
- अध्यक्ष एवं अन्य सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष का होता है।
- वित्तपोषण: केंद्र सरकार से प्राप्त अनुदान (संसद द्वारा विनियोजित), समाचार-पत्रों से प्राप्त किया गया श्रेणीबद्ध शुल्क और अन्य प्राप्तियों के माध्यम से किया जाता है।
- कार्य: यह मीडिया आचार संहिता तैयार करता है, नैतिक और सटीक रिपोर्टिंग सुनिश्चित करता है, सार्वजनिक उत्तरदायित्व को बढ़ावा देता है, समाचार प्रवाह पर प्रतिबंधों की निगरानी करता है तथा विदेशी मीडिया सहायता की देख-रेख करता है।
- यह विदेशी समाचार-पत्रों के प्रभाव का अध्ययन भी करता है, मीडिया स्वामित्व से संबंधित चिंताओं का समाधान करता है, उद्योग में सहयोग को बढ़ावा देता है और प्रेस की स्वतंत्रता व उत्तरदायित्व बनाए रखने के लिये केंद्र सरकार को परामर्श देता है।
- शक्तियाँ: यह परिषद समाचार-पत्रों, समाचार एजेंसियों, संपादकों या पत्रकारों को पत्रकारिता नैतिकता का उल्लंघन करने पर निंदा, चेतावनी या अनुशासनात्मक परामर्श दे सकती है; परंतु यह सब एक निष्पक्ष जाँच के पश्चात ही किया जाता है।
- इसमें सार्वजनिक हित में जाँच विवरण के प्रकाशन की भी आवश्यकता हो सकती है।
- इसके निर्णय अंतिम होते हैं तथा इनके विरुद्ध न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती।
- इसमें सिविल न्यायालयों, गवाहों को बुलाने, दस्तावेज़ों की जाँच करने तथा न्यायिक कार्यवाही के रूप में पूछताछ करने की शक्ति है।
- हालाँकि यह पत्रकारिता के स्रोतों का खुलासा करने के लिये बाध्य नहीं कर सकता।
- सीमाएँ: PCI की शक्तियाँ सीमित हैं क्योंकि यह दिशा-निर्देशों के उल्लंघन के लिये दंड लागू नहीं कर सकती है तथा केवल समाचार-पत्रों और पत्रिकाओं जैसे प्रिंट मीडिया की देख-रेख करती है।
- रेडियो, टेलीविज़न और इंटरनेट प्लेटफॉर्म सहित इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर इसका कोई अधिकार नहीं है।
नोट
भारतीय प्रेस परिषद (PCI) की स्थापना के उपलक्ष्य में प्रतिवर्ष 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रिलिम्सप्रश्न. निजता के अधिकार को जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के आंतरिक भाग के रूप में संरक्षित किया गया है। भारत के संविधान में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा उपर्युक्त वाक्य को सही एवं उचित रूप से लागू करता है? (2018) (a) अनुच्छेद 14 और संविधान के 42वें संशोधन के तहत प्रावधान। उत्तर: (c) |
0 Comments
