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MSME विकास के उत्प्रेरक के रूप में मध्यम उद्यमों का सुदृढ़ीकरण

MSME विकास के उत्प्रेरक के रूप में मध्यम उद्यमों का सुदृढ़ीकरण

    
    टैग्स: 
  • सामान्य अध्ययन-II
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  • सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप

प्रिलिम्स के लिये:

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालयविनिर्माण क्षेत्रमुद्रा योजना विस्तारउद्यम पोर्टलगवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेसउत्पादन-संबद्ध प्रोत्साहनआर्थिक समीक्षा 2024-25डिजिटल MSME 2.0 

मेन्स के लिये:

भारत की आर्थिक संवृद्धि में MSME की भूमिका, MSME क्षेत्र के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाले प्रमुख मुद्दे

चर्चा में क्यों?

NITI आयोग ने ‘मध्यम उद्यमों के लिये नीति की रूपरेखा तैयार करने’ (डिज़ाइनिंग अ पॉलिसी फॉर मीडियम इंटरप्राइजेज़) पर एक रिपोर्ट जारी की है, जिसमें भारत के मध्यम आकार के उद्यमों (जिसमें ₹125 करोड़ तक के संयंत्र और मशीनरी में निवेश और ₹500 करोड़ तक का वार्षिक कारोबार करने वाले उद्यम शामिल हैं) को बढ़ावा देने के लिये एक समर्पित रियायती ऋण योजना और सुधारों का प्रस्ताव है। 

  • यह रिपोर्ट लघु एवं सूक्ष्म उद्यमों के समक्ष विद्यमान चुनौतियों के समाधान हेतु एक संभावित रूपरेखा भी हो सकती हैजिससे अधिक समावेशी और विस्तार योग्य MSME पारिस्थितिकी तंत्र का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

मध्यम उद्यमों के लिये NITI आयोग की प्रमुख नीतिगत अनुशंसाएँ क्या हैं?

  • वित्तीय पहुँच को सुविधाजनक बनाना: एक समर्पित कार्यशील पूंजी योजना की शुरुआत की जानी चाहिये जिसमें अधिकतम 25 करोड़ रुपए रियायती ऋण और आपातकालीन निधियों के लिये 5 करोड़ रुपए तक की पूर्व-स्वीकृत सीमा के साथ मध्यम उद्यम क्रेडिट कार्ड की सुविधा प्रदान की जानी चाहिये।
    • चलनिधि संबंधी समस्याओं के समाधान हेतु गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (NPA) वर्गीकरण अवधि को 90 दिनों से बढ़ाकर 180 दिन किया जाना चाहिये।
  • प्रौद्योगिकी एकीकरण और उद्योग 4.0: मौजूदा प्रौद्योगिकी केंद्रों को भारत SME उद्योग 4.0 सक्षमता केंद्रों में अपग्रेड करना, जो हब-एंड-स्पोक मॉडल (एक केंद्रीय इकाई को कई शाखाओं से जोड़ता है) के माध्यम से कृत्रिम बुद्धिमत्ताइंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) और स्वचालन सहायता प्रदान करते हैं, ताकि सुचारु रूप से इसके उपयोग हेतु व्यापक पहुँच तथा चरणबद्ध कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।
  • अनुसंधान एवं विकास तथा नवाचार में वृद्धि: आत्मनिर्भर भारत कोष से सरकारी वित्तपोषण का 25-30% विशेष रूप से मध्यम उद्यमों के अनुसंधान एवं विकास के लिये आवंटित किया जाना चाहिये।
    • त्रिस्तरीय शासन प्रणाली स्थापित करना तथा राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप प्रतिस्पर्द्धा आधारित वित्तपोषण को बढ़ावा देना।
  • क्लस्टर-आधारित परीक्षण और गुणवत्ता प्रमाणन: औद्योगिक क्लस्टरों के भीतर क्षेत्र-विशिष्ट परीक्षण सुविधाएँ स्थापित करके, लागत को कम करके और सार्वजनिक-निजी भागीदारी और डिजिटल उपकरणों के माध्यम से निर्यात गुणवत्ता अनुपालन में सुधार करके MSE -क्लस्टर विकास कार्यक्रम को मध्यम उद्यमों तक विस्तारित करना।
  • अनुकूलित कौशल विकास: MSME संपर्क पोर्टल के माध्यम से वास्तविक समय कौशल अंतर मानचित्रण को बढ़ाना और क्लस्टर-विशिष्ट, प्रौद्योगिकी-लिंक्ड एवं निर्यात-उन्मुख प्रशिक्षण को शामिल करने के लिये उद्यमिता व कौशल विकास कार्यक्रम का विस्तार करना। 
  • केंद्रीकृत डिजिटल पोर्टल: उद्यम प्लेटफॉर्म पर एक समर्पित उप-पोर्टल बनाएँ, जिसमें योजनाओं, अनुपालन, वित्त और बाज़ार पहुँच के बारे में जानकारी को समेकित किया जाएगा, जो पात्रता सहायता, अनुपालन ट्रैकिंग व वास्तविक समय नियामक तथा बाज़ार अपडेट के लिये AI उपकरणों के साथ एकीकृत होगा।

नोट: जबकि मध्यम उद्यम उच्च नवाचार, निवेश और निर्यात क्षमता के माध्यम से उत्प्रेरक के रूप में कार्य करते हैं, सूक्ष्म एवं लघु उद्यमों सहित पूरे MSME पारिस्थितिकी तंत्र को मज़बूत करना महत्त्वपूर्ण है – जो समावेशी आर्थिक विकास व ग्रामीण रोज़गार के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। एक सहक्रियात्मक दृष्टिकोण क्षेत्रीय विकास और लचीलेपन को बढ़ा सकता है।

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सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) क्या हैं?

  • MSME के बारे में: MSME ऐसे व्यवसाय हैं जो वस्तुओं तथा पण्यों का उत्पादन, प्रसंस्करण और संरक्षण करते हैं।
  • वर्गीकरण: विनिर्माण के लिये संयंत्र और मशीनरी या सेवा उद्यमों के लिये उपकरणों में उनके निवेश के साथ-साथ उनके वार्षिक कारोबार के आधार पर इन्हें मुख्य तौर पर सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्यमों में वर्गीकृत किया जाता है।
  • MSME परिदृश्य: उद्यम पोर्टल (फरवरी 2025) के अनुसार, भारत में 5.93 करोड़ MSME हैं, जिनमें सूक्ष्म उद्यम 98% से अधिक हैं, जबकि मध्यम उद्यमों की हिस्सेदारी सिर्फ 0.3% (69,300 इकाइयाँ) है।
    • 2.95 करोड़ पंजीकृत MSME (MSME वार्षिक रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार) में से 72% सेवा क्षेत्र में और शेष 28% विनिर्माण क्षेत्र में संलग्न हैं।
  • महत्त्व:
    • सकल घरेलू उत्पाद और रोज़गार में योगदान: MSME वर्तमान में भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 29% का योगदान करते हैं, 6,000 से अधिक विविध उत्पादों का उत्पादन करते हैं तथा भारत के 60% से अधिक कार्यबल को रोज़गार देते हैं।
      • MSME 27 करोड़ तक का रोज़गार उत्पन्न करते हैं, जिनमें महिलाएँ कार्यबल का 26% हिस्सा हैं।
      • जबकि सूक्ष्म उद्यम MSME क्षेत्र में 89% रोज़गार उत्पन्न करते हैं, मध्यम उद्यम 3% का योगदान देते हैं, लेकिन प्रति इकाई रोज़गार लगभग 89 व्यक्तियों का होता है।
    • निर्यात में योगदान: भारत के निर्यात में MSME का योगदान 40% है, जबकि पंजीकृत MSME में से केवल 1.36% ही निर्यातक हैं।
      • इनमें से 64% का निर्यात कारोबार 1 करोड़ रुपए से कम है।
    • हरित एवं सतत् विकास: MSME स्वच्छ ऊर्जा और परिपत्र अर्थव्यवस्था प्रथाओं को अपनाकर भारत के हरित औद्योगिक अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं। RAMP (विश्व बैंक के समर्थन के साथ) और तेलंगाना MSME नीति (4,000 करोड़ रुपए) जैसी योजनाएँ सतत् विकास तथा उद्यमिता पर ध्यान केंद्रित करती हैं।
    • डिजिटल और तकनीकी परिवर्तन में अग्रणी: MSME तेज़ी से डिजिटल भुगतान, स्वचालन और AI को अपना रहे हैं। ओपन नेटवर्क फॉर डिजिटल कॉमर्स (ONDC) और 1 लाख करोड़ रुपए के ब्याज मुक्त नवाचार कोष जैसे कार्यक्रम इस बदलाव का समर्थन करते हैं।
      • MSME के 72% लेन-देन अब डिजिटल हैं।

और पढ़ें: भारत की MSME क्षमता का लाभ उठाना

भारत में MSME से जुड़े प्रमुख मुद्दे क्या हैं?

  • वित्त तक पहुँच: मुद्रा योजना और PM विश्वकर्मा जैसी योजनाओं के बावजूद, MSME को संपार्श्विक की कमी, उच्च ब्याज दरों तथा जटिल ऋण प्रक्रियाओं के कारण ऋण संबंधी बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कई MSME औपचारिक ऋणदाता मानदंडों को पूरा करने में असफल रहते हैं, जिससे वे अविश्वसनीय अनौपचारिक ऋण स्रोतों की ओर बढ़ जाते हैं।
    • SIDBI रिपोर्ट 2025 के अनुसार, सर्वेक्षण किये गए MSME में से 17% ने कोई ऋण नहीं लिया, जबकि 8% अनौपचारिक स्रोतों पर निर्भर थे, सूक्ष्म उद्यम सबसे अधिक प्रभावित हुए (12%)।
  • विनियामक और अनुपालन बोझ: MSME जटिल कर संरचनाओं, निरंतर नीतिगत बदलावों और जनशक्ति एवं विशेषज्ञता की कमी के कारण भारी अनुपालन से जूझ रहे हैं। जबकि GST ने कुछ प्रक्रियाओं को आसान बना दिया है, लेकिन विनियामक बोझ अभी भी भारी है, जिससे दंड और वित्तीय तनाव बढ़ रहा है।
    • श्रम, कराधान और पर्यावरण संबंधी विनियमों में कई अतिव्यापी कानून नौकरशाही संबंधी बाधाएँ उत्पन्न करते हैं।
  • बुनियादी अवसरंचना और रसद अंतराल: खराब परिवहन, भंडारण एवं आपूर्ति शृंखलाओं के कारण लागत और देरी बढ़ जाती है, विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में, जिससे बाज़ार का विस्तार तथा ग्राहक संतुष्टि सीमित हो जाती है।
    • आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 में बताया गया है कि भारत में लॉजिस्टिक्स लागत सकल घरेलू उत्पाद के 14-18% के दायरे में है, जबकि वैश्विक बेंचमार्क 8% है।
  • प्रौद्योगिकी अपनाने में पिछड़ापन: अधिकांश MSME वित्तीय और तकनीकी सीमाओं के कारण AI, IoT एवं ऑटोमेशन जैसी तकनीकों तक पहुँच नहीं बना पाते, जिससे उनकी प्रतिस्पर्द्धा तथा नवाचार क्षमता घट जाती है। डिजिटल भुगतान प्रणाली का एकीकरण कमज़ोर है और साइबर सुरक्षा भी अपर्याप्त बनी हुई है, जिससे परिचालन जोखिम बढ़ जाते हैं।
    • 64 मिलियन MSME में से केवल 7.7 मिलियन ने ही डिजिटल परिपक्वता हासिल की है।
    • सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, केवल 45% MSME ने अपने संचालन में किसी न किसी रूप में AI को अपनाया है।
  • कुशल कार्यबल की कमी: MSME आंशिक/अकुशल श्रमिकों पर बहुत निर्भर करते हैं, जो दक्षता को प्रभावित करता है। तकनीकी/प्रबंधकीय भूमिकाओं में लक्षित प्रशिक्षण और कुशल मानव संसाधनों की कमी विकास तथा उत्पादकता को सीमित करती है।
    • लगभग 47% MSME को उपयुक्त कौशल वाले कर्मचारियों की खोज में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है, विशेष रूप से विनिर्माण और IT-सक्षम सेवाओं में, जहाँ सतत् विकास के लिये विशिष्ट प्रतिभा अत्यंत महत्त्वपूर्ण है।
  • बाजार पहुँच और प्रतिस्पर्द्धा: MSME को कम ब्रांड दृश्यता, सीमित विपणन बजट और सीमित बाज़ार बुद्धिमत्ता का सामना करना पड़ता है।
    • वर्तमान में पंजीकृत MSMEs में से केवल 1.36% निर्यात कर रहे हैं और इनमें भी, मध्यम उद्यम, जो केवल 9% निर्यात करने वाली इकाइयों का प्रतिनिधित्व करते हैं, MSME निर्यात का 40% योगदान देते हैं।
  • उच्च अनौपचारिकता: हाल ही में हुए सुधारों के बावजूद, अभी भी MSME का एक बड़ा हिस्सा अपंजीकृत है, जो औपचारिक ऋण, सरकारी योजनाओं और IPR/कानूनी सुरक्षा तक पहुँच से वंचित है। अपर्याप्त दस्तावेज़ीकरण विश्वसनीयता एवं मापनीयता को कमज़ोर करता है।
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और पढें: MSME क्षेत्र से संबंधित चुनौतियाँ 

MSME क्षेत्र को मज़बूत और पुनर्जीवित करने के लिये भारत क्या कदम उठा सकता है?

  • अनुपालन एवं औपचारिकता को सरल बनाना: जटिल कर नियम MSME की लागत बढ़ाते हैं और औपचारिकता को हतोत्साहित करते हैं।
    • भारत को ब्राज़ील के SIMPLES कार्यक्रम की तरह GST सहज और उद्यम पोर्टल का उपयोग करते हुए सरलीकृत दरों तथा पूर्व-भरे फॉर्म के साथ एकीकृत कर फाइलिंग प्रणाली अपनानी चाहिये। 
    • बढ़ती हुई कंपनियों को सहायता प्रदान करने के लिये, अनुपालन को सरल बनाने के उद्देश्य से कर लाभ के साथ 3 वर्षों का संक्रमण काल प्रदान किया जाना चाहिये।
  • वास्तविक समय (रियल टाइम) की निगरानी और नीति मूल्यांकन: एक केंद्रीय MSME प्रदर्शन डैशबोर्ड बनाया जाना चाहिये ताकि क्रेडिट, प्रौद्योगिकी उपयोग, निर्यात, रोज़गार और कौशल को ट्रैक किया जा सके।
    • एक उच्च-शक्ति वाली MSME परिवर्तन परिषद को डेटा संग्रह और नीति की निगरानी के तहत समन्वय करना चाहिये ताकि बेहतर निगरानी एवं मूल्यांकन किया जा सके।
  • वित्त तक पहुँच में सुधार: छोटे और ग्रामीण MSME को किफायती तथा समय पर ऋण प्राप्त करने में सहायता करने के लिये वैकल्पिक क्रेडिट स्कोरिंग (व्यापार और उपयोगिता भुगतान के आधार पर), ब्लॉकचेन ऋण एवं डिजिटल संपार्श्विक प्रणाली जैसे फिनटेक उपकरणों का उपयोग करना, जिससे विद्यमान क्रेडिट योजनाओं से आगे बढ़ते हैं।
  • प्रौद्योगिकी और नवाचार को प्रोत्साहन: क्षेत्रीय नवाचार केंद्र स्थापित करना जहाँ MSME AI, IoT, रोबोटिक्स और क्लाउड कंप्यूटिंग जैसी नई प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर सकें।
    • इन केंद्रों को किफायती तकनीकी सहायता, मार्गदर्शन और अनुसंधान समूहों के साथ कार्य करने के अवसर उपलब्ध कराने चाहिये।
  • कौशल और उद्यमिता का निर्माण: MSME श्रमिकों को डिजिटल कौशल, व्यावसायिक प्रशिक्षण, नेतृत्व और उद्यमिता में प्रशिक्षित करने हेतु एक राष्ट्रीय मिशन शुरू करना चाहिये।
    • यह सुनिश्चित करने के लिये कि कार्यबल आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा करते है, ऑनलाइन शिक्षण, प्रशिक्षुता और वैश्विक प्रमाणन का उपयोग करना।
  • बाज़ार पहुँच और ब्रांडिंग का विस्तार: एक डिजिटल पोर्टल बनाना जो GeM जैसे घरेलू बाज़ारों को वैश्विक निर्यात प्लेटफार्मों से एकीकृत करे।
    • इससे MSME के लिये उत्पादों को सूचीबद्ध करना, निर्यात सहायता प्राप्त करना और बाज़ार डेटा तक पहुँचना आसान हो जाएगा। साथ ही, MSME उत्पादों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने के लिये “वोकल फॉर लोकल” जैसे अभियान चलाना।
  • सतत् और समावेशी विकास का समर्थन करना: MSME को ग्रीन क्रेडिट, कार्बन क्रेडिट और स्थिरता पर प्रशिक्षण के साथ स्वच्छ प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने के लिये प्रोत्साहित करना। बुनियादी ढाँचे को बढ़ावा देकर, कृषि आधारित उद्योगों का समर्थन करके तथा व्यापार शृंखलाओं में महिलाओं एवं हाशिये के समूहों को शामिल करके ग्रामीण MSME में सुधार करना।
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निष्कर्ष

मध्यम उद्यमों के लिये NITI आयोग की सिफारिशें इस प्रमुख क्षेत्र को मज़बूत करने के लिये वित्तीय पहुँच, प्रौद्योगिकी और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करती हैं। सभी MSME को शामिल करने के लिये इन सुधारों का विस्तार करना महत्त्वपूर्ण है। वित्त, नवाचार, बाज़ार पहुँच और स्थिरता को संबोधित करने वाला एक एकीकृत दृष्टिकोण संपूर्ण MSME क्षेत्र को पुनर्जीवित करेगा, जिससे भारत की अर्थव्यवस्था और रोज़गार को बढ़ावा मिलेगा।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न. भारत के आर्थिक विकास में MSME की भूमिका पर चर्चा कीजिये तथा उनकी चुनौतियों के समाधान के लिये NITI आयोग की प्रमुख नीतिगत सिफारिशों का विश्लेषण कीजिये। 

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स: 

प्रश्न 1. विनिर्माण क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार ने कौन-सी नई नीतिगत पहल की है/ हैं? (2012)

  1. राष्ट्रीय निवेश तथा विनिर्माण क्षेत्रो की स्थापना
  2. ‘एकल खिड़की मंज़ूरी’ (सिंगल: विड़ो क्लीयरेंस) की सुविधा प्रदान करना
  3. प्रौद्योगिकी अधिग्रहण तथा विकास कोष की स्थापना

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (d)


प्रश्न 2. सरकार के समावेशित वृद्धि लक्ष्य को आगे ले जाने में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कार्य सहायक साबित हो सकते हैं: (2011)

  1. स्व-सहायता समूहों (सेल्फ-हैल्प ग्रुप्स) को प्रोत्साहन देना
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को प्रोत्साहन देना
  3. शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू करना

निम्नलिखित कूटों के आधार पर सही उत्तर चुनिये :

(a) केवल 1
(b) केवल 1 और 2
(c) केवल 2 और 3
(d) 1,2 और 3 

उत्तर: (d)


प्रश्न 3. भारत के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2023)

  1. ‘सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास (एम.एस.एम.ई.डी.) अधिनियम 2006’ के अनुसार, ‘जिनके संयंत्र और मशीन में निवेश 15 करोड़ रुपए से 25 करोड़ रुपए के बीच हैं, वे मध्यम उद्यम हैं’।
  2. सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों को दिये गए सभी बैंक ऋण प्राथमिकता क्षेत्रक के अधीन अर्ह हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/है?

(a) केवल 1
(c) 1 और 2 दोनों
(b) केवल 2
(d) न तो 1 और न ही 2

उत्तर: (b)

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