WHO द्वारा वैश्विक महामारी संधि का समर्थन
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प्रिलिम्स के लिये:WHO महामारी संधि, गैर-संचारी रोग, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, जलवायु परिवर्तन, हृदय रोग, मलेरिया। मेन्स के लिये:वर्तमान में विश्व को प्रभावित करने वाली प्रमुख स्वास्थ्य चुनौतियाँ, वैश्विक स्वास्थ्य देखभाल प्रयासों में भारत की अग्रणी भूमिका, वैश्विक स्वास्थ्य प्रबंधन को नियंत्रित करने वाला वर्तमान संस्थागत कार्य ढाँचा। |
चर्चा में क्यों?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी 78वीं वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में WHO संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत विश्व की पहली वैश्विक महामारी संधि को अंगीकृत किया है। इसका उद्देश्य स्वास्थ्य सुरक्षा को उन्नत बनाने के साथ महामारी से निपटने के क्रम में समान अनुक्रिया सुनिश्चित करना है।
- यह तंबाकू नियंत्रण पर वर्ष 2003 के फ्रेमवर्क कन्वेंशन के बाद दूसरा विधिक उपकरण है।
WHO की वैश्विक महामारी संधि क्या है?
- परिचय: इसे 20 मई, 2025 को अंगीकृत किया गया था। यह वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचे को सुदृढ़ करने तथा महामारी के दौरान निदान, टीके एवं चिकित्सा के लिये समय पर न्यायसंगत सुगम्यता सुनिश्चित करने के क्रम में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के सिद्धांतों को निर्धारित करने पर केंद्रित है।
- यह संधि हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के लिये खुली है तथा 60 देशों द्वारा अनुसमर्थन के बाद बाध्यकारी बन जाएगी।
- पृष्ठभूमि: महामारी संधि के लिये वार्ता दिसंबर 2021 में कोविड-19 के ओमिक्रॉन वैरिएंट के दौरान शुरू हुई, जब विकसित देशों द्वारा वैक्सीन की होर्डिंग/जमाखोरी से अविकसित देशों को पहुँच से वंचित कर दिया गया।
- अध्ययनों से पता चला है कि समान वैक्सीन वितरण से दस लाख से अधिक लोगों की जान बचाई जा सकती थी। अनुचित समन्वय और असमानता को दूर करने के लिये, WHO के सदस्य देशों ने इस संधि को तैयार करने के लिये सहयोग किया।
- प्रमुख प्रावधान:
- पैथोजन एक्सेस और न्यायसंगत साझाकरण: फार्मा कंपनियों को पैथोजन सैंपल (रोगजनक के नमूनों) और डेटा तक पहुँच दी जाएगी, बशर्ते कि वे महामारी-संबंधी टीकों, उपचारों एवं जाँच उपकरणों का 10% भाग WHO को निशुल्क उपलब्ध कराएँ तथा अन्य 10% को सस्ती दरों पर आपूर्ति करें।
- प्रौद्योगिकी एवं ज्ञान हस्तांतरण: सदस्य देशों को विकासशील देशों में टीकों और दवाओं के स्थानीय उत्पादन को सक्षम बनाने हेतु तकनीक एवं विशेषज्ञता साझा करने के लिये प्रोत्साहित करना होगा।
- समन्वय वित्तीय तंत्र और GSCL: सदस्य देशों ने महामारी की रोकथाम, तैयारी और अनुक्रिया के लिये एक समन्वय वित्तीय तंत्र की शुरुआत करने का आदेश दिया।
- वैश्विक आपूर्ति शृंखला और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क (GSCL) को अंतर्राष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थितियों के दौरान बाधाओं को दूर करने तथा महामारी से संबंधित स्वास्थ्य उत्पादों तक न्यायसंगत, समय पर, सुरक्षित एवं सस्ती पहुँच सुनिश्चित करने के लिये लॉन्च किया गया था।
- अनुसंधान वित्तपोषण एवं पहुँच अधिकार: देशों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सार्वजनिक रूप से वित्त पोषित अनुसंधान में परिणामी चिकित्सा उत्पादों तक समय पर और उचित पहुँच की शर्तें शामिल हों।
- यदि सार्वजनिक धन से विकसित जीवनरक्षक दवाइयाँ अप्राप्य या अनुपलब्ध हों तो सरकारों को हस्तक्षेप करना चाहिये।
- संप्रभुता संरक्षित: WHO को राष्ट्रीय कानूनों को दरकिनार करने या यात्रा प्रतिबंध, टीकाकरण आवश्यकताओं या लॉकडाउन जैसे आदेश लागू करने से रोक दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देशों का महामारी प्रतिक्रियाओं पर पूर्ण अधिकार बना हुआ है।
WHO के वैश्विक महामारी समझौते से जुड़ी प्रमुख चिंताएँ क्या हैं?
- सीमित WHO अधिकार: यह संधि स्पष्ट रूप से WHO को राष्ट्रीय कानूनों को निर्देशित करने या यात्रा प्रतिबंध, टीकाकरण अनिवार्यता या लॉकडाउन जैसे उपाय लागू करने की शक्तियों से वंचित करती है, जिससे संकट के दौरान प्रवर्तन और अनुपालन सीमित हो जाता है।
- बौद्धिक संपदा और नवाचार: दवा कंपनियाँ उच्च जोखिम वाले अनुसंधान और नवाचार का समर्थन करने के लिये मज़बूत बौद्धिक संपदा (IP) संरक्षण एवं कानूनी निश्चितता की मांग करती हैं, जो महामारी के दौरान न्यायसंगत पहुँच के साथ इनके बीच संतुलन बनाने की चुनौती पर प्रकाश डालती है।
- अस्पष्ट लाभ-साझाकरण तंत्र: रोगजनक पहुँच और लाभ-साझाकरण प्रणाली (PABS) का उद्देश्य जैविक सामग्रियों (रोगजनकों) एवं जीनोम अनुक्रमों के साझाकरण को नियंत्रित करना है, ताकि टीकों और निदान तक समान पहुँच सहित निष्पक्ष लाभ-साझाकरण सुनिश्चित किया जा सके।
- हालाँकि इसके कार्यान्वयन में स्पष्टता का अभाव है और तंत्र पर अभी भी बातचीत चल रही है, जिसे वर्ष 2026 के विश्व स्वास्थ्य सभा में अंतिम रूप दिये जाने की उम्मीद है।
- WHO से अमेरिका का बाहर होना: वैश्विक दवा निर्माण में एक प्रमुख देश, अमेरिका का WHO से बाहर होना, इस संधि के प्रभाव को कमज़ोर करता है, क्योंकि इसकी फार्मा कंपनियाँ डेटा साझा करने या संधि के प्रावधानों का पालन करने के लिये बाध्य नहीं हैं, जिससे वैश्विक समन्वय में बड़ा अंतर उत्पन्न हो रहा है।
WHO महामारी समझौते में भारत का योगदान
- समानता और वैश्विक एकजुटता का समर्थन: भारत विशेष रूप से निम्न-मध्यम आय अर्थव्यवस्थाओं (LMIC) के लिये टीकों, निदान तथा चिकित्सा तक उचित पहुँच का समर्थन करता है एवं उसने वैक्सीन राष्ट्रवाद का मुकाबला करने और समय पर वैश्विक समर्थन सुनिश्चित करने के लिये मज़बूत समानता खंडों पर ज़ोर दिया है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और IPR लचीलेपन के लिये समर्थन: भारत ने दक्षिण अफ्रीका के साथ साझेदारी में कोविड-19 टीकों और चिकित्सा विज्ञान के लिये बौद्धिक संपदा अधिकारों (IPR) पर छूट के लिये विश्व व्यापार संगठन में वैश्विक आह्वान का नेतृत्व किया।
- यह विकासशील देशों में प्रौद्योगिकी हस्तांतरण को सुगम बनाने तथा विनिर्माण क्षमताओं को बढ़ाने के लिये संधि में संतुलित बौद्धिक संपदा अधिकार प्रावधानों पर ज़ोर दे रहा है।
- स्वास्थ्य प्रणाली के लचीलेपन पर ज़ोर: भारत सार्वजनिक स्वास्थ्य अवसंरचना, कार्यबल क्षमता निर्माण और विशेष रूप से कम संसाधन वाले क्षेत्रों में लचीली स्वास्थ्य प्रणालियों को मज़बूत करने के लिये प्रशिक्षण में वैश्विक निवेश बढ़ाने का समर्थन करता है।
प्रमुख वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियाँ क्या हैं?
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वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन को आकार देने और आगे बढ़ाने में भारत की भूमिका क्या है?
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नोट
- 78वीं विश्व स्वास्थ्य सभा में ऑस्ट्रिया, नॉर्वे, ओमान और सिंगापुर को उनकी खाद्य आपूर्ति से औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैटी एसिड (TFA) को समाप्त करने के लिये सम्मानित किया।
ट्रांस फैट के विरुद्ध प्रयास:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ट्रांस फैट की मात्रा को कुल फैट के 2 ग्राम/100 ग्राम तक सीमित कर दिया है अथवा आंशिक रूप से हाइड्रोजनीकृत तेलों (PHO) पर प्रतिबंध लगा दिया है।
- REPLACE एक्शन फ्रेमवर्क (2018), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा वर्ष 2025 तक औद्योगिक रूप से उत्पादित ट्रांस फैट के वैश्विक उन्मूलन के लिये शुरू की गई पहल है।
- इसने वर्ष 2025 के अंत तक उन देशों में ट्रांस फैट उन्मूलन नीतियों को लागू करने का लक्ष्य रखा था, जो वैश्विक ट्रांस फैट का कम-से-कम 90% और प्रत्येक क्षेत्र में कम-से-कम 70% का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- हालाँकि मई 2025 तक केवल 60 देशों (वैश्विक जनसंख्या का 46%) ने ही सर्वोत्तम-प्रथाओं पर आधारित नीतियाँ अपनाई हैं।
- भारत की भूमिका:
- भारत ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक (बिक्री पर निषेध और प्रतिबंध) विनियम, 2021 के तहत वर्ष 2022 में तेल और वसा में ट्रांस फैट पर 2% की सीमा लागू की।
निष्कर्ष
WHO महामारी संधि एक अधिक न्यायसंगत और समन्वित वैश्विक स्वास्थ्य ढाँचे की दिशा में एक ऐतिहासिक परिवर्तन को दर्शाता है। यह कोविड-19 से मिली सीख को संस्थागत रूप देता है, जिससे तीव्र प्रतिक्रिया, वैक्सीन तक न्यायसंगत पहुँच और सुदृढ़ स्वास्थ्य प्रणालियाँ सुनिश्चित की जा सकें। भारत और अन्य देशों के लिये इसका शीघ्र अंगीकरण एवं प्रभावी कार्यान्वयन भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से सुरक्षा प्रदान करने तथा वैश्विक स्वास्थ्य सुरक्षा को मज़बूत करने में अत्यंत महत्त्वपूर्ण होगा।
दृष्टि मेन्स प्रश्न: प्रश्न. WHO वैश्विक महामारी संधि क्या है? इसे अपनाने में आने वाली चुनौतियों और कोविड-19 के बाद विश्व में वैश्विक स्वास्थ्य प्रशासन को मज़बूत करने में इसके महत्त्व पर चर्चा कीजिये। |
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न (PYQ)प्रश्न. निम्नलिखित में से कौन-से ‘राष्ट्रीय पोषण मिशन’ के उद्देश्य हैं? (2017)
नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये: (a) केवल 1 और 2 उत्तर: (a) मेन्स:प्रश्न. ‘‘एक कल्याणकारी राज्य की नैतिक अनिवार्यता के अलावा, प्राथमिक स्वास्थ्य संरचना धारणीय विकास की एक आवश्यक पूर्व शर्त है।’’ विश्लेषण कीजिये। (2021) प्रश्न. भारत में ‘सभी के लिये स्वास्थ्य’ प्राप्त करने हेतु समुचित स्थानीय सामुदायिक स्तरीय स्वास्थ्य देखभाल का मध्यक्षेप एक पूर्वापेक्षा है। व्याख्या कीजिये। (2018) |
