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चेर वंश

चेर वंश

 चेर साम्राज्य को बनावर, विल्लवर, कुट्टुवर, पौरयार, मलैयर आदि नामों से भी जाना जाता था।
  • चेर वंश की राजधानी ‘वंजी’ थी। इसे केरल देश भी कहा जाता था। उदियन जेरल एक प्रसिद्ध चेर शासक था इसका वर्णन कवि मुदिनागरायर ने अपनी रचना ‘पुरम्’ में ‘वाणवर्मबन’ और ‘पेरूनजोरन उदियन’ नामों का प्रयोग किया है।
  • उदियन जेरल एक दयावान शासक था जो पाकशाला चलवाता था जहाँ लोगों को मुफ्त में भोजन दिया जाता था।
  • उदियन जेरल ने ‘पत्तिनि’ या ‘कण्णगी’ पूजा का आरम्भ किया था।
  • इमायवर्मबन नेदुनजेरल, उदियन जेरल का पुत्र था और वह 155 ई० सदी में राजा बना।
  • चेर शासकों के चोल शासकों से कई वर्षों तक कई युद्ध हुए।
  • चेर शासकों में से एक पेरुनजेरल इम्पोरई भी था जोकि विद्वानों का संरक्षक था। इसने अपने जीवन काल में कई यज्ञ भी कराये। इसी पेरुनजेरल इम्पोरई के शासन काल में दक्षिण में गन्ने की खेती शुरू हुई।
  • इस वंश का यशश्वी शासक ‘सेंगुट्टवक’ को माना जाता है जिसे ‘लाल चेर’ भी कहा जाता है।
  • चेर शासकों के रोम साम्राज्य के साथ भी व्यापारिक सम्बन्ध थे।
  • प्रसिद्ध चेर बंदरगाह मुशिरी या मुजिरिस भारत-रोमन व्यापार के प्रमुख केंद्र थे।
  • रोम शासकों ने व्यापारिक गतिविधियों की रक्षा के लिए यहाँ पर अपनी दो रेजीमेंट भी स्थापित कर रखी थी।
  • मांदारजेरल इम्पोरई अंतिम चेर शासक था। इसे हाथी की आंख वाला कहा जाता था।
See also  मौर्य काल - मौर्य साम्राज्य इन हिंदी PDF
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